अतिरिक्त >> रोशनी की नदी रोशनी की नदीअश्वघोष
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सरजू धीरे-धीरे घर की ओर बढ़ रहा था। उसके पैरौं में तेजी नहीं थी। आज उसे लग रहा था, जैसे किसी ने उसके पैरों की शक्ति खींच ली हो। उसके सिर में दर्द भी था। पहले उसने सोचा कि वह रोजाना की तरह बस पकड़ ले।
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